Sunday, February 16, 2020

पैसा real में किसके पास गया

                पैसा real में किसके पास गया


Hello friends,

                          आजकल की टेक्नोलॉजी की दुनिया काफी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। और इसके साथ ही साथ साइबर क्राइम की घटना भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अगर हम एक्टिव नहीं होंगे तो हमारे साथ भी आज नहीं तो कल ऐसी घटना हो सकती है। इसके लिए हमें हमेशा सक्रिय रहना पड़ेगा। आज मैं अपने इस लेख के जरिए, देश में तीव्र गति से बढ़ रहे साइबर क्राइम के प्रति अपने कुछ विचार आप लोगों के साथ व्यक्त करने का कोशिश किया है। शोध के मुताबिक साइबर अपराध में लिप्त लोग 15 से 35 वर्ष तक की आयु के होते हैं। इन्हें कम समय में अधिक पैसा कमाने की लालसा रहती है, जिसके वजह से इन्हें गलत - सही का फर्क नजर नहीं आता।उनका सिर्फ एक ही मकसद होता है अधिक से अधिक पैसे कमाना.???


             भारत में साइबर क्राइम की घटना अक्सर उन लोगों के साथ होता है, जिनको आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्ञान नहीं रहता, और कई बार ऐसा भी होता है कि जिनको इसके बारे में ज्ञान रहता है वह लोग भी इनके बातों के झांसे में आ जाते हैं। और अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसों से हाथ धो बैठते हैं। आज पत्थर तोड़ने वाले बैंकों के लॉक तोड़ रहे हैं??? कुछ दिनों पहले एक घटना घटी, जिसमें एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई। इन मौत के पीछे का रीजन हम इस लेख के जरिए जाने का प्रयास करेंगे......



             आज सुनील बड़ा ही खुश था, क्योंकि आज उनकी बेटी का एक अच्छे परिवार में विवाह तय हो गया था। और सुनील ने अपना मन बना लिया था, बेटी के शादी बड़े धूमधाम से कराएगा,और सभी के  मेहमान नवाजी में किसी चीज की कमी नहीं करेगा। अब सुनील व सपरिवार विवाह की तैयारियों के लिए  सभी समान के बंदोबस्त करने में सभी जुट गए। फिर कुछ दिनों बाद विवाह के लिए पैसों की कमी के कारण सुनील ने अपने फ्रेंड व रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर उस पैसे को बैंक में डिपॉजिट कर दिया। विवाह की तारीख नजदीक आ रही थी। कुछ दिनों बाद, हुआ कुछ ऐसा कि विवाह की खुशी का माहौल, गम के साए में तब्दील हो गया। कुछ घंटों पहले, सुनील के मोबाइल पर एक लड़के का फोन आया, और वह खुद को बैंक का अधिकारी  बता रहा था।


लड़का-सर मैं आपके ........ बैंक से बोल रहा हूं, आपका अकाउंट बंद होने जा रहा है! कृपया अपना account को वेरीफाई  करवा लीजिए। आपका अकाउंट वेरीफाई करने के लिए अपने एटीएम कार्ड के 16 डिजिट नंबर बताइए।
सुनील यह सब सुनकर घबरा गया,और वह बोला -सर मेरा एटीएम कार्ड के नंबर बताने भर से मेरा अकाउंट वेरीफाई हो जाएगा ना??
लड़के ने सुनील को अपने बातों की जाल में फंसते हुए बोला - हां सर बिलकुल, एक बार आपका अकाउंट वेरीफाई हो जाने के बाद आप को बैंक से मिलने वाली सुविधा फोन पर मैसेज द्वारा दिया जाएगा। आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


           सुनील ने अपने एटीएम कार्ड के 16 डिजिट नंबर उस लड़के को बता दिया। उस लड़के ने फिर सुनील से कहा-सर अब आप एटीएम कार्ड के दाई ओर लिखे गए एक्सपेरी डेट बताए,सुनील ने उस लड़के को सारी detial बता दी।इसके बाद उस लड़के ने फिर बोला - सर वेरीफाई के लिए आपके नंबर पर एक ओटीपी गया होगा उसको बताए।सुनील ने उसको आया हुआ ओटीपी बता दिया। जैसे ही सुनील ने उसको आया हुआ ओटीपी बताया वैसे ही उस लड़के का फोन कट जाता है। उसके बाद सुनील के मोबाइल में बैंक द्वारा निकासी का पैसा s.m.s. द्वारा लगातार आता गया। सुनील को ये समझ में नहीं आ रहा था वह अब क्या करें??? सुनील के अकाउंट में विवाह के लिए जमा हुआ सारा  पैसा₹500000 एक बार में ही निकल गया। उसके बाद वह तेजी से बैंकों की ओर भागने लगा। वहां जाकर उसको यह पता चला कि वो ठगी का शिकार हो गया। और बैंक वाली उसे थाने में रिपोर्ट कराने की सलाह दी।


             थाने में रिपोर्ट लिखाने के बाद वह भारी मन से घर की ओर लौटने लगा, और वह चलते चलते यह सोचने लगा कि - मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है, जो मेरे साथ ऐसा कुछ हो रहा है। पैसे के बिना मैं अपने बेटी का विवाह कैसे करा पाऊंगा??? बेटी के विवाह का जो मैंने देखे थे सपने, वो एक ही पल में टूट गया।और सभी से मैंने विवाह के लिए जो उधार लिए हैं पैसे,उसको मै कैसे लौट आ पाऊंगा??? ये सारी बातें सुनील के मन में चारों तरफ़ घूम रही थी।
       घर पहुंचकर सुनील ने परिवार वालों से घटित हुई घटना कह डाली। यह सब बातें सुनकर सभी बहुत दुखित हुए।दूसरे दिन लड़के पक्ष वालों को जब इसकी जानकारी पड़ी उनके पास अब कोई पैसे नहीं हैं,अब वो लोग हमें दहेज क्या देंगे ?? यह सोचकर  वो लोग विवाह का रिश्ता तोड़ दिए। ये सब बातें सुनील व उसके घरवालों को जब पता चली तो वो लोग खुद को संभाल नहीं पाए और उस रात खाने में ज़हर मिला कर सभी ने खुदकुशी कर ली.......।


          भारत में ऐसी घटना रोज़ घट रही है, हर दिन साइबर क्राइम,हर दिन एक परिवार ठगी का शिकार हो रहा है। इससे बचना है तो हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए।और साथ ही साइबर क्राइम की जानकारी अपने व सभी लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करें। जिससे उनको ठगी का शिकार होने से बचाया जा सके।

      मन में ऐसे बहुत से सवाल है जिनका कोई जवाब नहीं है-

1.- उनके पास हमारा सारा detial कैसे पहुंच जाता है??
2.- हमारा phone number, हमारा नाम और हमारा कौन से बैंक में खाता है, ये सभी डिटेल???
3.- जब एटीएम से 1 दिन में लिमिट 40,000 से ज्यादा अमाउंट निकलता नहीं है तो फिर वो लोग हमारे accuont में जितना पैसे हैं, उसे एक पल ही पूरा पैसे कैसे निकाल लेते हैं ?????
   
         साइबर अपराध की घटनाएं आए दिन लगातार घट रही हैं, जो देश के उन्नति में एक बड़ी चिंताजनक समस्या है। जिन पर रोक लगाना बेहद जरूरी हो गया है। साइबर अपराध में एक व्यक्ति को पकड़ा गया और उससे पूछा गया तुम एटीएम फ्रॉड कैसे करते हो??? तब उसने जो बताया वह सभी को हैरान कर देने वाली बात पता चली। सभी की बैंक डिटेल उनको कौड़ियों के भाव में मिलती है,1000 लोगो की information only 50 rupees. जब उससे पूछा गया कि ठगी का पैसा तुम्हारे पास आता कैसे हैं तो उसने आगे बताया- अगर कस्टमर के अकाउंट में ₹100000 रूपए है तो सब पैसा एक बार में निकाल कर 50 भागों में डिवाइड करके 50 लोगों के अकाउंट में छोटे छोटे अमाउंट डिपॉजिट कर दिया जाता है, जिससे न तो बैंक को और न ही पुलिस को ये पता चल पाता है कि कस्टमर का पैसा real मैं किसके पास गया???
फिर हम 50 लोगों के नए खोले गए account के एटीएम द्वारा पैसे हमारे तक पहुंच जाती है।

लेखक की कलम से,

                             इस लेख के माध्यम से मैं साइबर क्राइम से होने वाले गंभीर मामलों को आप लोगों तक पहुंचाने की एक पहल की है,जिससे आप लोग सभी ठगी का शिकार होने से बच सकें। अगर आपको मेरा लेख पसंद आया हो तो इसे इतना शेयर कीजिए ताकि आपके परिवार frnds व  सगेसंबंधी इनके झांसे में ना आए।और अपने मेहनत से कमाए हुए पैसे गवा न बैठें। अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि  इस लेख में अगर आपकी कोई राय हो तो plz  मुझे कमेंट बॉक्स में अपना विचार व्यक्त करें। और अगर आप मेरे ब्लॉग में नए हैं तो मेरे ब्लॉग को subscribe करें,जिससे आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन आपको मिल जाएगी।

      Thank you......
       



        

Friday, February 14, 2020

किसान ऋण का मायाजाल

                           किसान ऋण का मायाजाल



Hello friends,
     

                      "जय जवान - जय  किसान" लाल बहादुर शास्त्री जी का यह प्रसिद्ध नारा, शायद आपको याद होगा पर यह नारा आज किसानों के बीच से ओझल होने की कगार पर है। आज की समय में "जय किसान " की जगह "हाय किसान " ने अपनी जगह ले ली है। क्योंकि आज सभी किसान ऋण के मायाजाल में फंसते जा रहे हैं, भारत में आज ऐसा कोई भी किसान नहीं हैं,जो कर्ज़ तले दबा न हो ? मैं अपने इस लेख में किसानों की दयनीय  मनोदशा व उनकी सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों का विश्लेषण करते हुए अपने विचार आप लोगों के समक्ष पेश कर रहा हूं। आशा करता हूं कि आपको मेरा यह लेख भी पहले की लेख की तरह ही पसन्द आयेगा।


       

                  जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां की अधिकांशत: 70% लोग कृषि पर ही निर्भर रहते हैं। परंतु आज किसान कृषि को छोड़कर मजदूरी की तलाश में शहरों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जिस रेशियो में जनसंख्या की आबादी दिनों दिन बढ़ती जा रही है इसके साथ ही महंगाई की दर भी उसी रेशियो से बढ़ती जा रही है । भूमि सीमित है, और अनाज की पूर्ति असीमित । कृषि को छोड़ने का किसानों के पास ऐसे बहुत से कारण है जिसे हम इस लेख में किसानों की छुपी कुछ समस्याओं का उल्लेख करेंगे, और इसके साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान के निराकर करने हेतु अपने विचार व्यक्त  करेंगे ।

             आज के समय में किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय है, जो किसान कड़ी धूप में मेहनत कर पूरे भारत की जनसंख्या को खाने योग्य अनाज उपलब्ध कराता है, आज वही किसान अनाज के दाने-दाने के मोहताज हो जा रहे हैं। अगर भविष्य में ऐसे ही स्थिति रही तो, किसान खेती करना छोड़ देगा और वह मजदूरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन करेगा।


            रामू आज बड़ा खुश था,क्योंकि उसे आज किसान क्रेडिट कार्ड (K.C.C.) के जरिए आज उसे लोन मिलना था। वह मन ही मन यह सोच रहा था कि, लोन के अमांउट मिलने के बाद, वह कृषि कार्य में और भी ज्यादा मेहनत करेगा ।और साथ ही साथ वह अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए महंगे से महंगे स्कूलों  में उनका दाखिला कराएगा। यह सभी बातें सोचकर वह बैंक पहुंचा। और  वह बैंक के मैनेजर से लोन के विषय में उनसे बात की। बैंक मैनेजर ने रामू को यह बताते हुए बोला कि-रामू भाई ! आपका लोन तो आपको मिल जाएगा परंतु मेरे को आप क्या दोगे आपका यह काम कर दूंगा तो ??? यह बात सुनकर रामू ने बोला-साहब मोय गरीब आदमी हो। मोए तोके का दे सको ??? फिर बैंक मैनेजर ने रामू को अपनी बातों के जाल में फंसते हुए बोला-जो तेरा लोन का पैसा 25000 आया है उसमें से मुझे हजार रूपए दोगे। तभी मैं तेरे को लोन दूंगा। वरना तुम्हें कभी भी लोन नहीं मिलेगा।



           कुछ देर सोचने के बाद रामू  ने उसे पैसा देने के लिए राजी हो गया। फिर रामू ने अपने लोन के अमाउंट -24000/ 🏦 बैंक से लिए और फिर  घर की ओर वापिस चल पड़ा। इस साल रामू ने खेती के लिए जी जान से लगातार मेहनत किया।खेती करने के कुछ दिनों बाद रामू बारिश ना होने के कारण चिंतित रहने लगा। और वह सोचने लगा कि, इस बार अगर बारिश समय पर ना हुई तो मेरी सारी फसल बर्बाद हो जाएगी। 2 दिन के बाद बारिश होना शुरू हुई,बारिश को देखकर सभी किसानों में खुशी का ठिकाना ना रहा। पर ये खुशी बस कुछ दिन की थी। दो हफ्तों की लगातार बारिश होने के कारण किसानों के सभी फसल बर्बाद हो गए। सभी किसान दिल में दर्द लिए खामोशी की आगोश में समा गए।उनके मन में बहुत ज्यादा प्रश्न उठ रहे थे, जिनका उनके पास कोई जवाब नहीं था -



1. अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा ?
2. बच्चों की स्कूल 🏫 फीस कैसे भरेगा ?
3. बैंक से लिए लोन से वो कैसे छूटेगा ?
4. अपने निजी जरूरतों की पूर्ति कैसे करेगा ?
5. अब उनकी सहायता कौन करेगा ?

          अब किसानों के पास सिर्फ दो ही रास्ते हैं, एक वो लोग सेठ साहूकार से फिर से कर्ज ले या नाममात्र की मजदूरी करें। नाम मात्र की मजदूरी से तात्पर्य उस मजदूरी से है जिसमें उनकी वास्तविक मजदूरी में से महंगाई की दर को घटा दिया जाए तो उनकी नाम मात्र की मजदूरी निकल जाएगी।


       वास्तविक मजदूरी - महंगाई की दर=नाममात्र की मजदूरी




         
          5 साल बाद नई सरकार के आने, पर सरकार द्वारा किसानों का ऋण माफ करने का ऐलान किया जाता है। यह बात सुनकर सभी भोले-भाले किसानों में खुशी की लहर दौड़ जाती है। जब ये बात रामू के कान तक पहुंची तो वह खुशी से झूम उठा। और वह दूसरे दिन बैंक की ओर चल पड़ा, वहां जाकर उसे पता चला कि सरकार ने किसानों का सिर्फ ऋण तो माफ कर दिया है पर उस ऋण पर लगने वाला ब्याज की दर को माफ़ नही किए हैं।रामू के लिए हुए ऋण पर लगने वाला ब्याज की दर ₹12530/ पहुंच गई थी। और यह ब्याज की दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। यह सब जानकर रामू दुखी मन से घर की ओर लौटने लगा। और वह सोचने लगा, उसने जो सेठ साहूकार से लिया था पैसा, उसे वह चुकाएगा कैसे ?? और बैंकों के कर्ज पर लगने वाला ब्याज की दर को देगा कैसे?? सभी किसान एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेते हैं जिसका फल, यह होता है कि सभी किसान कर्ज के माया जाल में फंसते जाते हैं । और उनके जमीन, जायदाद व घर को सेठ साहूकार- महाजन द्वारा हड़प लिया जाता है, अब किसानों के पास आत्महत्या करने के अलावा  और कुछ बचा ही नहीं है ???



                   सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे हमारे किसानों को फायदा हो सके। हमारे भोले भाले किसानों से ₹5 की सब्जी लेकर  बाजार तक पहुंचते-पहुंचते उस सब्जी की रेट ₹50 हो जाती है। जिस वजह से किसानों को बाजार का सही मूल्य नहीं मिल पाता है।किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उनके समाधान हेतु कुछ सुझाव-

1. किसानों को उनकी फसल का बाजार मूल्य देना।
2. खेती हेतु उन्नत बीज की उपलब्धता।
3. आधुनिक तकनीकी जैसे ट्रैक्टर, थ्रेसर, मोटर पंप इत्यादि साधन की उपलब्धता।
4. कम ब्याज दर पर ऋण देना।
5. खेती कार्यों के नए विषय में किसानों को अवगत कराना।
6. किसानों को खेती कार्य हेतु प्रोत्साहित करना।
7. किसानों के अनाज का भुगतान डायरेक्ट उनके खाते में करना।
8. किसानों को बाजारों तक सुविधाजनक वाहन  मुहिया कराना।
9. किसानों के लिए अनाज रखने हेतु गोदामों का निर्माण कराना।
10. किसानों की हित की रक्षा हेतु उनको संरक्षण प्रदान करना।



लेखक की कलम से,


                             किसान हमारे देश की शान हैं, किसानों के कठोर परिश्रम द्वारा ही हमारे थाली तक अनाज पहुंच पाता है। अनाज के थोड़े से हिस्से कमाने के लिए वो इतना मेहनत करता है कि वह अपना दुख - दर्द  बयां नहीं कर पाता है। किसान अपने एक ऋण के छुटकारा के लिए दूसरा ऋण ले लेता है। इससे वह ऋण के माया जाल में फंसते हुए चले जाता है। इस लेख के जरिए आज मैं हमारे देश के सभी किसानों की समस्याओं को उजागर करने की एक कोशिश की है। अगर इस विषय में आपकी कोई राय हो तो मुझे कमेंट बॉक्स में बताए। और लास्ट में मै सिर्फ  इतना ही कहना चाहूंगा, अगर आपको मेरा लेख पसंद आया हो तो प्लीज सब्सक्राइब एंड शेयर कीजिए जिससे आपको मेरे नए लेख की नोटिफिकेशन आपको मिल जाएगी।

Thank you

                           



       

         
            
                  

Wednesday, February 12, 2020

आज की शिक्षा, शिक्षा ना होकर बन गया व्यापार

  आज की शिक्षा, शिक्षा ना होकर बन गया व्यापार




हेलो फ्रेंड्स,


                कैसे हैं आप लोग सभी,आशा करता हूं कि आप
सभी अच्छे होंगे। आज मैं फिर से एक नए विषय पर अपने विचार
आप लोगों के साथ व्यक्त करने का प्रयास इस लेख में किया है।
आज मैं इस लेख में आजकल की शिक्षा प्रणाली पर ख़ास फोकस
किया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं,आज की शिक्षा प्रणाली कैसी
हैं??
पहली की शिक्षा व्यवस्था और अभी की शिक्षा प्रणाली में जमीन - आसमान का फर्क है। पहले की शिक्षा
व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य-बच्चों में बौद्धिक तथा मानसिक चेतना का विकास को बढ़ाने पर बल दिया जाता था।



परंतु आज की शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य - अधिक से अधिक पैसे कमाना रह गया है। शायद यही वजह है कि
आज की शिक्षा, शिक्षा ना होकर व्यापार बन गई है।

               भारत में आज भी ऐसे बहुत से  ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां पर शिक्षा की कोई भी व्यवस्था नहीं है। तथा वहां आज भी
वो लोग सभी प्रकार की सरकारी लाभो व  योजनाओं से वंचित हैं। और जहां स्कूल तथा कॉलेज स्थापित हैं वहां फीस के
नाम पर मनचाही पैसे की वसूली की जाती है। आज के समय में शिक्षा का व्यापार इस कदर बढ़ता जा रहा है कि,
हर 10 किलोमीटर के अंदर नए स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है। जितना ज्यादा  स्टूडेंट्स उतना ही ज्यादा पैसा ?????
मैं नए स्कूलों के निर्माण कार्य का विरोधी नहीं हूं, किंतु मैं उन लोगो से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में
स्कूल तथा कालेजों का निर्माण करने की जगह शहरों में ही और कितना स्कूल खोलोगे ??? आजकल नेताओं व आला
अधिकारी द्वारा घूस के नाम पर मोटी रकम लेकर,शिक्षक की पद उन महान लोगों के हाथों में दे दिया जाता है, जिनका
उन विषयों पर जरा सा भी  कोई ज्ञान नहीं होता ??? ऐसे शिक्षकों के हाथों हमारे बच्चों का भविष्य बन रहा है अगर
भविष्य में एजुकेशन सिस्टम ऐसा ही रहा तो भारत में सिर्फ नौकर ही पैदा होंगे, मालिक नहीं???




       आज सुबह मैंने एक बच्चे से यूं ही एक सवाल पूछा-बेटा आपको अपने लास्ट ईयर के क्लास का कोई चैप्टर आपको
याद है क्या ? उसने कुछ देर सोचा फिर बोलो -लास्ट ईयर के क्लास का तो नहीं पर अभी की क्लास का कुछ चैप्टर सिर्फ
याद है।
उसकी यह बात सुनकर मैं यह सोचने लगा कि, आजकल की शिक्षा व्यवस्था और पहले की शिक्षा व्यवस्था में काफी ज्यादा
अंतर है। मुझे तो आज अपने बचपन में पढ़ी हुई , कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की  एक कविता याद आ रही है, जिसे मैं सेकंड
क्लास में पढ़ा था।

              " नर हो ना निराश करो मन को,
               कुछ काम करो कुछ काम करो
               जग में रहकर कुछ नाम करो।
               यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,
               समझो जिसमें यह व्यर्थ ना हो।
               कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
               नर हो ना निराश करो मन को "
                                                 कवि-मैथिलीशरण गुप्त.




         आज शिक्षा के प्रति अभिभावकों की सोच पहले की शिक्षा प्रणाली की तरह ही है। अभिभावक बच्चों के अच्छे
भविष्य के लिए बेहतर से बेहतर स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा पैसे देने के लिए तैयार रहते है। यही वजह है कि आज
हर स्कूल के कुछ दूरी पर ही बहुत से कोचिंग सेंटर खुल गयी है। जरा आप ये सोचिये अगर टीचर्स क्लास में ही बच्चों के
सारे डॉट्स क्लियर कर देते तो आज कोई कोचिंग सेंटर की जरुरत महसूस नहीं होती??? आज के इस तरह की
एजुकेशन सिस्टम में बहुत से बदलाव करने की जरूरत है । सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे सभी बच्चों को
समान रूप से पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके……


           सभी लोगो को सरकारी नौकरी चाहिए पर वे लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते हैं। क्यू.?? जब उनसे यह सवाल पूछा गया तो,उनका जवाब कुछ इस तरह सामने आया-


1.-क्योंकि वहां अच्छे पढ़ाई की असुविधा ?
2.-डेस्ट- बेंच की अव्यवस्था ?
3.-सुलभ शौचालय की अव्यवस्था?
4.-साफ-सफाई टाइम पर नहीं होती है?
5.-अच्छे शिक्षकों की कमी ?
6.-पेयजल की अव्यवस्था ?
7.-शिक्षक क्लास से नदारद ?
8.-सरकारी स्कूलों का टाइम 2 टाइम मरम्मत ना करना?


         यह तो मैंने सिर्फ 8 ही कारण बताएं हैं,जबकि ऐसे बहुत से कारण हैं जिस वजह से सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी
खराब है जिस वजह से कोई भी अपने  बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते । 


         सरकार को ऐसी नीति अपनानी चाहिए जिससे सरकारी स्कूलों का निर्माण व विकास कार्य अच्छी तरह हो सके ।
1 .- सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई करें। जिसके परिणाम स्वरूप पूरा सरकारी
एजुकेशन सिस्टम ही चेंज हो जाएगा। क्यों कि जब सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे जब सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो वो
लोग भी स्कूल संबंधी समस्त सरकारी कार्यों को पूरी इमानदारी पूर्वक करेंगे।और रही बात, सरकारी स्कूलों की समस्याओं
की तो उस समस्याओं का समाधान भी उन्हीं के द्वारा पूर्ण होगा।
2 .- सभी सरकारी कार्यलयो व सरकारी स्कूलों में सी.सी.टी.वी कैमरा लगवानी चाहिए। उसके लिए एक एप्लीकेशन अप्प्स होनी चाहिए जिसके माध्यम से आम जनता अपने स्मार्ट फ़ोन पे कभी भी यह  
 देख सकती है कि,उनके  बच्चों की पढ़ाई कैसे चल रही हो व उस टाइम उनके बच्चे क्या कर रहे है तथा सरकारी कार्यो में कैमरे लगने की वजह से आम जनता सभी उन्हें कभी भी देख सकते है यह सोचकर  वो लोग भी अपना कार्य पूरी ईमानदारी के साथ करेंगे। 
3.- एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए एक जांच समिति का गठन करना चाहिए जिससे शिक्षक का पद उन व्यक्ति को  मिलना चाहिए  जिसे उस विषय का पूर्ण ज्ञान हो। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाला हमारे बच्चों को अगर संस्कृत विषय पढ़ाये तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा ????
  











 
https://youtu.be/IJrjo4RKA4k



लेखक की कलम से,


                             मैंने अपने इस लेख में education system में बदलाव के लिए अपनी सोच को शब्दों के जरिए
आप तक पहुंचाने की एक कोशिश की है। अगर आप मेरी इस लेख से सहमत है तो इसे इतना शेयर कीजिए कि मेरी यह
बात सरकार तक पहुंच सके। इस विषय में अगर आपकी कोई राय हो तो आप मुझे कमेंट के जरिए मुझसे शेयर कर सकते हैं।
अगर आप मेरे इस ब्लॉग में नए हैं तो plz... subscribe करें जिससे आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाएगी।
         Thank you

             

Saturday, February 8, 2020

Sharab ke connection Ghar ma kab le lagi


                                         Sharab ke connection Ghar ma kab le lagi

हेलो फ्रेंड्स,
               कैसे हैं आप लोग, आशा करता हूं कि आप लोग अच्छे होंगे। सबसे पहले तो मैं उन लोगों को दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा, जो मेरे लेख को पढ़कर अपनी बात मुझसे शेयर करते हैं, अगर आप मेरे ब्लॉग में नए  है तो प्लज subscribe करें, जिससे आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन मिल जायेगी। तो आज मैं फिर से एक नया लेख आपके सामने पेश कर रहा हूं, I hope  कि आपको मेरा यह लेख भी पहले लेख की तरह ही पसंद आएगा। इस लेख में मैं अपनी काल्पनिक सोच को लेख के रूप में प्रस्तुत करने का कोशिस किया है, जिसका किसी भी वास्तविक लोगों से दूर तक कोई सम्बन्द नही है।

               चारों तरफ चुनाव का माहौल था, सभी उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए अपने अपने षड्यंत्र रचने में महसुल थे। सभी लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा था कि, इस बार देखना है कि इस चुनाव में जीतता कौन है ? चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवारों के लड़के हर गली मोहल्ले में चुनाव का प्रचार प्रसार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे थे, चुनाव में वोट को अपने फेवर में करने के लिए हर घरों में प्रसाद के रूप में दारू - मुर्गा पैसा बाटा जा रहा था। और यह बोला जा रहा था कि   

 "जिसका खाओगे उसी को ही वोट दीजिएगा " चुनाव जीतने के बाद आपका आगे भी ऐसे ही खातिरदारी किया जावेगा,और गांव वाले सभी उन्हीं को ही भगवान समझ रहे थे। उनका सोचना गलत था, पर वे लोग ये बात जानते नहीं थे कि नेता कभी किसी का नहीं होता।
           जैसा कि हम जानते हैं हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, वैसा ही हर चुनाव में एक अच्छा उम्मीदवार होता है तो दूसरा बुरा। पर आज के टाइम पर कोई भी अच्छा है या बुरा इस बात से पता नहीं लगाया जा सकता, कि वह हमारा कल्याण करेगा या हमारा शोषण??? समीर भी चुनाव में खड़े हुए अपने उम्मीदवार के  चुनाव प्रचार प्रसार करने में लगा हुआ था, और वह सभी के घर जा जाकर यह संदेश पहुंचाने की कोशिश करता है कि

अपना उम्मीदवार आप लोग  उन्हीं को चुने जो आपके तथा आपके परिवार गांव को विकास की ओर ले जाने का प्रयास करें। जिससे कि गांव में बच्चों के भविष्य को उज्जवल करने हेतु स्कूल, रोजगार के अवसर,बिजली,स्वास्थ्य केंद्र, सड़क निर्माण इत्यादि के कार्यों हेतु सुविधा उपलब्ध हो सकें। यह बात  सुनकर वहां खड़े नशे में धुत 2 लोगों ने एक साथ बोला-हमन अपन वोट वही के देहब,जो हमके दारू - मुर्गा खिलाही ???
यह बात सुनकर समीर ने कहा-तुमन जैसे आदमी के वजह से गांव हर आगे नहीं बढ़ सकत है, तुमन  1 दिन के दारु - मुर्गा खातिर, आपन कीमती वोट ला, वोकर हाथों बेच देथा।
              समीर की ये सभी बातें,नशे में धुत उन लोगों के एक कान से दूसरे कान को निकल गई, और  वे लोग नशे में मदमस्त होकर बड़बड़ करते हुए वहां से चले गए। आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग अशिक्षित हैं, जहां ना तो कोई स्कूल है और ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र। जिस कारण, इस क्षेत्र में लोग सरकारी योजना अन्य सुविधाओं से वंचित है। शायद यही वजह है कि चुनाव के समय नेताओं के द्वारा हाथ जोड़ा जाता है,फिर चुनाव खत्म होने के बाद इन्हें ही कठपुतलीयो  की तरह इस्तेमाल किया जाता हैं।
               चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आने लगा, वैसे - वैसे चुनाव में उठे उम्मीदवारों के द्वारा तरह-तरह के लुभावाने चीजें जैसा कि कपड़े, रुपए, शराब मुर्गा, इत्यादि दिए जा रहे थे। यह सब समीर अपनी आंखो से देख रहा था,और वह चुनाव में उठे अपने उम्मीदवार के पास गया और उनसे कहा-भैया, मुझे आप पर विश्वास है कि आप जनता का विकास उनका कल्याण करेंगे तो आप  ये सब लुभावनी चीजें क्यों बांट रहे हैं.??? 


समीर की ये सब बातें सुनकर चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवार ने उससे कहा-भाई यह चुनाव है………..चुनाव.??? अगर चुनाव में जीतना है तो पैसे तो खर्च करना पड़ेगा ना, क्युकी तुम्हें भी ये बात पता है,आज के समय में कोई भी बिना पैसे लिए किसी को अपना कीमती वोट नहीं देता…?आज मैं चुनाव के लिए जितना पैसे खर्च करूंगा उतना ही मेरे जीतने की उम्मीद ज्यादा रहेगी…. तुम मुझे अपना काम करने दो, तुम्हारे घर भी शाम तक पैसे और दारू पहुंच जाएगा…….तुम अपना काम करो। . समीर इस बात को सुनकर बड़े उदास मन से वहां से वापस घर की ओर चलने लगा …… और चलते चलते वह यह सोच रहा था कि क्या शराब को बाटे बिना चुनाव नहीं होता है क्या???
 क्या शराब के बिना चुनाव नहीं जीता जाता क्या???
यहां शराब और शबाब के लिए हर कोई बिक जा रहा है???
अगर ऐसा ही चुनाव भविष्य में होता रहा तो जिसके पास जितना पैसा होगा जीतेगा भी वही????

                                     चुनाव होने के 1 दिन पहले

             चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार,   उनके लोगों द्वारा गांव में सभी लोगो को अपने पक्ष में वोट करने हेतु भोली भाली जनता को बहकाए जा रहे थे। तथा उन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार के लालच दिए जा रहे थे। तभी कुछ ऐसा हुआ, जिससे चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की आंखें फटी की फटी रह गई, और वे लोग चुनाव में खड़े होने से पीछे हटने लगे। हुआ कुछ ऐसा......  चुनाव में खड़े हुए एक प्रत्याशी ने गांव में ये  अफवाह फैला दी कि -आपका वोट मुझे दीजिए, मैं आप लोगों का कल्याण करूंगा, जिस तरह मेरे विरोधी आपको सिर्फ 1 दिन ही दारू, मुर्गा,व शराब पिलाएंगे??? और मैं आपको हफ्ते में 5 दिन शराब दूंगा। और इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिस तरह शहर में पानी के लिए पाइप की सहायता से  नल कनेक्शन लगवाते हैं, उसी तरह मैं आपके सभी घर में शराब की पाइप कनेक्शन लगवा दूंगा। जिससे आपको जब शराब पीना हो नल चालू कीजिए और अपना पैक बना कर घर में ही पी लीजिए। आपको शराब के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

         



   शराब की नल कनेक्शन की यह बात सुनकर सभी बेवडो में खुशहाली की लहर दौड़ गई। और सभी एक साथ बोलने लगे-साहब हमर वोट तुमीन के ही जाही, बस तुमान जल्दी से  दारू के कनेक्शन ला घर मा लगवा दा?????? 
अगले दिन चुनाव हुआ और चुनाव में वही प्रत्याशी भारी मतों से जीत गया। 






 चुनाव के कुछ दिनों के  बाद


                         नेता जी कुर्सी पर बैठे हुए सिगरेट पी रहे थे। तभी गाव के कुछ लोग आते है, और बोलते है-का हो नेता जी का करत  बा ? नेता जी ने जोर की आवाज लगते हुए कहा-क्या हैं ,अब क्या चाहिए ?? एक ग्रामीण ने बोला-नेता जी तुमन  हमन के चुनाव से पहले बोले राहा,घर माँ शराब के कनैक्शन लगवा दैउ,पर बहोत दिन हो गइस हे।  अभी तक लगे नाहै। 

नेता जी  ने उन्हें आश्वाशन देते हुए बोले :- लग जाहिते चिंता झन कर।
ग्रामीण  :- कब ले लगही  नेता जी ! हमन जब भी आथन तो इसनेच कथस। 
नेता जी ग़ुस्से में कर बोले  - मै नेता  बने बर 50 लाख खर्चा करे हव। ओला कोन दिही? कहा ले निकलही? तहु भी तो, 5 दिन ले मतंग ले दारु पिए रहे। मुर्गा खाय रहे और तुमन के  घर वाली साड़ी दे रहेव तब तो तुमन  मोला बोट दे हस। नही तो, तुमन  तो आने तरफ पल्टत रहेस। मैं नई जानत हव का। यह बात सुनकर समीर ने बोला :-तुमन मन ला मै बोलेन रहीं,दारू मुर्गा खातिर अपन कीमती वोट ला मत दा पर तुमन मोर कोई बात ला नहीं सुना ??? ये आज नई तो कल होयत रहि। हमन गरीब मन एक दिन के सुख देखेन दारु मुर्गा  के खातिर ये नेता जी   चुनेंन आज भोगत  हन   ?????

                                   


लेखक की कलम से………

                        भारत एक विकासशील देश है, और यहां की जनता आसानी से नेताओं की बातों पर विश्वास करके उम्मीद के साए में जीते हैं। जैसा की आप लोग सभी ये जानते हैं कि  मै अपने लेख में उन विषयों को शामिल करता हूं  जो समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं से छिपे पहलुओं को उजागर करने की एक कोशिश की है। यहाँ हर कोई चुनाव के समय इस उम्मीद के भरोसे जीते है कि इस बार कोई ऐसा नेता आये जिससे उनका कस्ट व् समस्या का समाधान हो सकें। अंत में,मैं चुनाव के सम्बन्ध में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि एक अच्छा  राजनेता ऐसा हो कि हमे तथा समाज को उसे राजनेता बनाने की जरुरत ही न पड़े। आपको अगर मेरा लेख अच्छा लगा हो प्लज़ लाइक  कमेंट एंड शेयर करे.........