Friday, April 10, 2020

दुनिया को बचाओ प्लास्टिक हटाओ

                  दुनिया को बचाओ प्लास्टिक हटाओ


          आज हम इस लेख में, प्लास्टिक से हो रहे दुष्प्रभाव के विषय पर आपका ध्यान इंगित करने की एक कोशिश किया है। आज भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देश प्लास्टिक से होने वाली गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। जिसका निष्पादन किया जाना अति आवश्यक है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, प्लास्टिक को पूर्ण रूप से नष्ट किया जाना असंभव है। फिर भी हम इसे यूज़ करने से ज़रा सा भी नहीं हिचकचाते।


         आज प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन में इस तरह मौजूद है कि, हमारी सुबह की शुरुआत हमारे प्लास्टिक से बने toothpaste, toothbrush से होती है। और फिर बाद में नाश्ता भी प्लास्टिक से बने प्लेट से होती है। इतना ही नहीं, ऑफिस जाने के लिए उपयोग में लाई गई बाइक के कुछ कलपुर्जे भी प्लास्टिक के ही बने होते हैं। और फिर ऑफिस में, कंप्यूटर तथा कीबोर्ड भी प्लास्टिक के बने होते हैं। और फिर शाम को जब हम घर वापस आते हैं तो प्लास्टिक के बने बोतल ही यूज करते हैं। घर में रखें सभी सामानों में से ज्यादा सामान प्लास्टिक के बने होते हैं। चाहे वो समान किचन का हो या फिर टीवी का रिमोट।


       प्लास्टिक हमारे लिए बहुत ही खतरनाक है, प्लास्टिक की बोतलों का कंटेनरों E.P.C.(endocrine Disrupting chemicals) पाया जाता है। जिससे न्यूरोलॉजिकल बिहेवियर disorder जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है, साथ ही इसके कैंसर, डायबिटीज, न्यूरोलॉजिकल थायराइड, birth defect, मेल इनफर्टिलिटी इत्यादि बीमारियां हो सकती है। Newyork N.Y.U Langone medical centre ने दावा किया है कि plastic से आर्टिजम male infertility तथा मानव की intelligence quotient (IQ) पर असर करता है, जिससे मानव में सोचने की क्षमता कमजोर हो जाते हैं। तथा इंसानों के हारमोंस को प्रभावित करते हैं जिससे ब्रस्ट कैंसर का खतरा बनता है। साथ ही इसके गंभीर प्रभाव गर्भवती मां से शिशु को दूध के जरिए होने की संभावनाएं बनी रहती है।



             कई बार हम देखते हैं, ठेलो में चाय प्लास्टिक के कपो में ही दिया जाता है। गर्म चाय जब प्लास्टिक के कप में पड़ती है तो वह कप धीरे-धीरे पिघलने लगती है। इसका फल यह होता है कि कप के रसायन तत्व चाय में घुल जाते हैं। और यह इंसान के बॉडी में पहुंचती है, फल स्वरूप एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। इसके साथ ही जो हम कोल्ड ड्रिंक पीते हैं, हमारे पास  डायरेक्ट रूप से आती नहीं है, हमारे पास पहुंचने से पहले ट्रकों व अन्य वाहनों द्वारा कड़ी धूप, से होते हुए दुकानों पर पहुंचती है और दुकानों से हम तक। प्लास्टिक के प्रभाव से हमारे बच्चे भी सुरक्षित नहीं है। बच्चों के लिए बनने वाले खिलौने प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग द्वारा बनी होती है, कभी-कभी बच्चे खिलौनों को अपने मुंह से काटते व खेलते रहते हैं। जिससे बच्चो में बीमारियों का संचार होता है।


       प्लास्टिक के एक बार उपयोग में लाने के बाद उसे कचरों के रूप में जगह जगह फेंक दिया जाता है। जिससे वह भूमि  तथा जल में पहुंचकर नदियों को दूषित करते हुए समुंद में  पहुंच जाती है। जिसका असर यह होता है कि मछलियां इसको भोजन समझ खा लेते हैं, फिर बाद में मछलियों को इंसान। 1950 से अब तक लगभग 1000 करोड़ टन प्लास्टिक का खपत हो चुका है। हर साल लगभग 14.5 टन। अगर इसी रेशों से 2050 तक प्लास्टिकों का उत्पादन किया जाएगा तो समुद्र में मछलियां कम, प्लास्टिक के ज्यादा मिलेंगे।एक सर्वे में पता चला है कि समुंदर में कचरों का एक बड़ा ठिकाना प्रशांत महासागर के The great Pacific garbage patch है।


         तमिलनाडु के मदुरै में प्रोफ़सर rajagopalam vasudevan ने waste प्लास्टिक का रोड बनाकर एक नया इतिहास कायम किया। जिन्हें "plastic man" की उपाधि से नवाजा गया। हैदराबाद में एक इंजीनियर ने waste प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का एक नया अनोखा तरीका निकाला।कुछ देशों में waste प्लास्टिक से बिजलियां उत्पन्न की जा रही है। इसी तरह waste प्लास्टिक का उपयोग हर राज्य में हो तो कुछ हद तक प्लास्टिक से छुटकारा मिल सकता है।


लेखक की कलम से,

                              आज मैं अपने इस लेख के माध्यम से प्लास्टिकों के यूज को कम करने की एक पहल की है। जिससे इस गंभीर समस्या से निपटा जा सके। साथ ही साथ, सरकार द्वारा हर राज्य में प्लास्टिक निदान संबंधी सेंटर खोला जाए। लेख के अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि अगर आपको मेरा यह लेख प से सहमत हो तो प्लीज इसको शेयर कीजिए ताकि मेरा यह लेख सरकार तक पहुंच सकें। जिससे हर राज्य में प्लास्टिक निदान सेंटर खुल सके। अगर आप मेरे ब्लॉग में नए हैं तो इसे subscribe करें ताकि आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सकें।



                      Thank you........
           


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