आज की शिक्षा, शिक्षा ना होकर बन गया व्यापार
हेलो फ्रेंड्स,
कैसे हैं आप लोग सभी,आशा करता हूं कि आप
सभी अच्छे होंगे। आज मैं फिर से एक नए विषय पर अपने विचार
आप लोगों के साथ व्यक्त करने का प्रयास इस लेख में किया है।
आज मैं इस लेख में आजकल की शिक्षा प्रणाली पर ख़ास फोकस
किया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं,आज की शिक्षा प्रणाली कैसी
हैं??
पहली की शिक्षा व्यवस्था और अभी की शिक्षा प्रणाली में जमीन - आसमान का फर्क है। पहले की शिक्षा
व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य-बच्चों में बौद्धिक तथा मानसिक चेतना का विकास को बढ़ाने पर बल दिया जाता था।
सभी अच्छे होंगे। आज मैं फिर से एक नए विषय पर अपने विचार
आप लोगों के साथ व्यक्त करने का प्रयास इस लेख में किया है।
आज मैं इस लेख में आजकल की शिक्षा प्रणाली पर ख़ास फोकस
किया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं,आज की शिक्षा प्रणाली कैसी
हैं??
पहली की शिक्षा व्यवस्था और अभी की शिक्षा प्रणाली में जमीन - आसमान का फर्क है। पहले की शिक्षा
व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य-बच्चों में बौद्धिक तथा मानसिक चेतना का विकास को बढ़ाने पर बल दिया जाता था।
आज की शिक्षा, शिक्षा ना होकर व्यापार बन गई है।
भारत में आज भी ऐसे बहुत से ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां पर शिक्षा की कोई भी व्यवस्था नहीं है। तथा वहां आज भी
वो लोग सभी प्रकार की सरकारी लाभो व योजनाओं से वंचित हैं। और जहां स्कूल तथा कॉलेज स्थापित हैं वहां फीस के
नाम पर मनचाही पैसे की वसूली की जाती है। आज के समय में शिक्षा का व्यापार इस कदर बढ़ता जा रहा है कि,
हर 10 किलोमीटर के अंदर नए स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है। जितना ज्यादा स्टूडेंट्स उतना ही ज्यादा पैसा ?????
मैं नए स्कूलों के निर्माण कार्य का विरोधी नहीं हूं, किंतु मैं उन लोगो से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में
स्कूल तथा कालेजों का निर्माण करने की जगह शहरों में ही और कितना स्कूल खोलोगे ??? आजकल नेताओं व आला
अधिकारी द्वारा घूस के नाम पर मोटी रकम लेकर,शिक्षक की पद उन महान लोगों के हाथों में दे दिया जाता है, जिनका
उन विषयों पर जरा सा भी कोई ज्ञान नहीं होता ??? ऐसे शिक्षकों के हाथों हमारे बच्चों का भविष्य बन रहा है अगर
भविष्य में एजुकेशन सिस्टम ऐसा ही रहा तो भारत में सिर्फ नौकर ही पैदा होंगे, मालिक नहीं???
वो लोग सभी प्रकार की सरकारी लाभो व योजनाओं से वंचित हैं। और जहां स्कूल तथा कॉलेज स्थापित हैं वहां फीस के
नाम पर मनचाही पैसे की वसूली की जाती है। आज के समय में शिक्षा का व्यापार इस कदर बढ़ता जा रहा है कि,
हर 10 किलोमीटर के अंदर नए स्कूलों का निर्माण कराया जा रहा है। जितना ज्यादा स्टूडेंट्स उतना ही ज्यादा पैसा ?????
मैं नए स्कूलों के निर्माण कार्य का विरोधी नहीं हूं, किंतु मैं उन लोगो से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में
स्कूल तथा कालेजों का निर्माण करने की जगह शहरों में ही और कितना स्कूल खोलोगे ??? आजकल नेताओं व आला
अधिकारी द्वारा घूस के नाम पर मोटी रकम लेकर,शिक्षक की पद उन महान लोगों के हाथों में दे दिया जाता है, जिनका
उन विषयों पर जरा सा भी कोई ज्ञान नहीं होता ??? ऐसे शिक्षकों के हाथों हमारे बच्चों का भविष्य बन रहा है अगर
भविष्य में एजुकेशन सिस्टम ऐसा ही रहा तो भारत में सिर्फ नौकर ही पैदा होंगे, मालिक नहीं???
आज सुबह मैंने एक बच्चे से यूं ही एक सवाल पूछा-बेटा आपको अपने लास्ट ईयर के क्लास का कोई चैप्टर आपको
याद है क्या ? उसने कुछ देर सोचा फिर बोलो -लास्ट ईयर के क्लास का तो नहीं पर अभी की क्लास का कुछ चैप्टर सिर्फ
याद है।
उसकी यह बात सुनकर मैं यह सोचने लगा कि, आजकल की शिक्षा व्यवस्था और पहले की शिक्षा व्यवस्था में काफी ज्यादा
अंतर है। मुझे तो आज अपने बचपन में पढ़ी हुई , कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की एक कविता याद आ रही है, जिसे मैं सेकंड
क्लास में पढ़ा था।
याद है क्या ? उसने कुछ देर सोचा फिर बोलो -लास्ट ईयर के क्लास का तो नहीं पर अभी की क्लास का कुछ चैप्टर सिर्फ
याद है।
उसकी यह बात सुनकर मैं यह सोचने लगा कि, आजकल की शिक्षा व्यवस्था और पहले की शिक्षा व्यवस्था में काफी ज्यादा
अंतर है। मुझे तो आज अपने बचपन में पढ़ी हुई , कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की एक कविता याद आ रही है, जिसे मैं सेकंड
क्लास में पढ़ा था।
" नर हो ना निराश करो मन को,
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो।
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,
समझो जिसमें यह व्यर्थ ना हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो ना निराश करो मन को "
कवि-मैथिलीशरण गुप्त.
आज शिक्षा के प्रति अभिभावकों की सोच पहले की शिक्षा प्रणाली की तरह ही है। अभिभावक बच्चों के अच्छे
भविष्य के लिए बेहतर से बेहतर स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा पैसे देने के लिए तैयार रहते है। यही वजह है कि आज
हर स्कूल के कुछ दूरी पर ही बहुत से कोचिंग सेंटर खुल गयी है। जरा आप ये सोचिये अगर टीचर्स क्लास में ही बच्चों के
सारे डॉट्स क्लियर कर देते तो आज कोई कोचिंग सेंटर की जरुरत महसूस नहीं होती??? आज के इस तरह की
एजुकेशन सिस्टम में बहुत से बदलाव करने की जरूरत है । सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे सभी बच्चों को
समान रूप से पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके……
भविष्य के लिए बेहतर से बेहतर स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा पैसे देने के लिए तैयार रहते है। यही वजह है कि आज
हर स्कूल के कुछ दूरी पर ही बहुत से कोचिंग सेंटर खुल गयी है। जरा आप ये सोचिये अगर टीचर्स क्लास में ही बच्चों के
सारे डॉट्स क्लियर कर देते तो आज कोई कोचिंग सेंटर की जरुरत महसूस नहीं होती??? आज के इस तरह की
एजुकेशन सिस्टम में बहुत से बदलाव करने की जरूरत है । सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे सभी बच्चों को
समान रूप से पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके……
सभी लोगो को सरकारी नौकरी चाहिए पर वे लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते हैं। क्यू.?? जब उनसे यह सवाल पूछा गया तो,उनका जवाब कुछ इस तरह सामने आया-
1.-क्योंकि वहां अच्छे पढ़ाई की असुविधा ?
2.-डेस्ट- बेंच की अव्यवस्था ?
3.-सुलभ शौचालय की अव्यवस्था?
4.-साफ-सफाई टाइम पर नहीं होती है?
5.-अच्छे शिक्षकों की कमी ?
6.-पेयजल की अव्यवस्था ?
7.-शिक्षक क्लास से नदारद ?
8.-सरकारी स्कूलों का टाइम 2 टाइम मरम्मत ना करना?
यह तो मैंने सिर्फ 8 ही कारण बताएं हैं,जबकि ऐसे बहुत से कारण हैं जिस वजह से सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी
खराब है जिस वजह से कोई भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते ।
खराब है जिस वजह से कोई भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते ।
सरकार को ऐसी नीति अपनानी चाहिए जिससे सरकारी स्कूलों का निर्माण व विकास कार्य अच्छी तरह हो सके ।
1 .- सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई करें। जिसके परिणाम स्वरूप पूरा सरकारी
एजुकेशन सिस्टम ही चेंज हो जाएगा। क्यों कि जब सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे जब सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो वो
लोग भी स्कूल संबंधी समस्त सरकारी कार्यों को पूरी इमानदारी पूर्वक करेंगे।और रही बात, सरकारी स्कूलों की समस्याओं
की तो उस समस्याओं का समाधान भी उन्हीं के द्वारा पूर्ण होगा।
2 .- सभी सरकारी कार्यलयो व सरकारी स्कूलों में सी.सी.टी.वी कैमरा लगवानी चाहिए। उसके लिए एक एप्लीकेशन अप्प्स होनी चाहिए जिसके माध्यम से आम जनता अपने स्मार्ट फ़ोन पे कभी भी यह 1 .- सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई करें। जिसके परिणाम स्वरूप पूरा सरकारी
एजुकेशन सिस्टम ही चेंज हो जाएगा। क्यों कि जब सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे जब सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो वो
लोग भी स्कूल संबंधी समस्त सरकारी कार्यों को पूरी इमानदारी पूर्वक करेंगे।और रही बात, सरकारी स्कूलों की समस्याओं
की तो उस समस्याओं का समाधान भी उन्हीं के द्वारा पूर्ण होगा।
देख सकती है कि,उनके बच्चों की पढ़ाई कैसे चल रही हो व उस टाइम उनके बच्चे क्या कर रहे है तथा सरकारी कार्यो में कैमरे लगने की वजह से आम जनता सभी उन्हें कभी भी देख सकते है यह सोचकर वो लोग भी अपना कार्य पूरी ईमानदारी के साथ करेंगे।
3.- एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए एक जांच समिति का गठन करना चाहिए जिससे शिक्षक का पद उन व्यक्ति को मिलना चाहिए जिसे उस विषय का पूर्ण ज्ञान हो। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाला हमारे बच्चों को अगर संस्कृत विषय पढ़ाये तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा ????
मैंने अपने इस लेख में education system में बदलाव के लिए अपनी सोच को शब्दों के जरिए
आप तक पहुंचाने की एक कोशिश की है। अगर आप मेरी इस लेख से सहमत है तो इसे इतना शेयर कीजिए कि मेरी यह
बात सरकार तक पहुंच सके। इस विषय में अगर आपकी कोई राय हो तो आप मुझे कमेंट के जरिए मुझसे शेयर कर सकते हैं।
अगर आप मेरे इस ब्लॉग में नए हैं तो plz... subscribe करें जिससे आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाएगी।
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