Sunday, February 2, 2020

DAM GHUM GE HE


                                              DAM GHUM GE HE



          डैम घूम गए हे....... आपको यह बात सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा, परंतु यह बात हमें कुछ देर में मेरे इस लेख में समझ जाएगा कि इस बात में कितनी सच्चाई है……….
           जैसा की हम जानते है,भारत एक कृषि प्रधान प्रधान देश है, और यहां की जनता अधिकांशत कृषि पर ही डिपेंड है, फिर भी यहां के लोगों में आपसी संबंध बहुत ही मधुर है। आज हम भारत  के एक गांव की बात करेंगे जहां की जनसंख्या काफी कम है, जिस वजह से यह गांव  सभी सरकारी योजनाओं से दूर है, इस गांव में एक बार पुलिस स्टेशन में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया जो भारत के सभी भ्रष्ट नेताओं के कर्मों का परिणाम था।
                               मामला हुआ कुछ इस तरह………
       गांव वाले सभी लोग थाने गए और रिपोर्ट में यह लिखाया  गया कि -हमारे गांव से डैम गुम हो गया है, आप हमारे गांव  की डैम को ढूंढ़ने में हमारी सहायता कीजिये यह बात सुनकर सभी थाने की पुलिस अफसर आश्चर्य में पड़ गए,क्युकी यह बात उनके गले से उतर नहीं रही थी और वे सोचने लगे कि डेम आखिर घूम कैसे सकता है? एक अफसर ने ऊंची आवाज लगाते हुए बोला-यह तुम लोग क्या बकवास कर रहे हो डेम कैसे घूम सकता है तुम सब शराब पीकर तो नहीं आए हो ना??? यह बात सुनकर एक किसान बोला-साहब हमन सच बोलत ही कि हमर गांव के डैम हारे घूम गे हे,हमर गांव में पानी की समस्या होहत रहे तो सरपंच हारे सरकारी योजनाओं से हमर गांव में डैम बनी बोलकर हमर सब से साइन लेहीस आओ  कागज के सरकारी दफ्तर मां आवेदन दहिन। और फिर किसान अपनी बात को आगे जारी करते हुए बोलता है-पटवारी हरे नक्शा मां तो तालाब के होना दर्शाई है, और जब हामन लोग मने नक्शा के आधार पर उस जगह मां  गईल, तो वहां पता चलिस ओजक तो ना ही कोई तालाब रहीस और ना ही कोई डैम।

           साहब अब तो तू मन हमके ये बतावा की हमर गांव के डेम हरे  कहां गईस??? यह बात को सुनकर सभी अफसर खामोशी की आगोश में समा गए, और फिर एक अफसर धीरे स्वर में बोले-आप लोग चिंता ना करें आप लोगों की यह समस्या बहुत ही गंभीर है और इस मामले को हम आला अधिकारी तक पहुंचाएंगे, जिससे आपकी इस समस्या का समाधान हो सके। और मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि इस मामले में जो भी जिम्मेदार है उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जावेगी।आप लोग अपने अपने घर जाइए हम इस मामले की जांच करना अभी से स्टार्ट कर देते हैं, अफसर की यह संतोषप्रद बात सुनकर सभी अपने अपने घर की ओर हो लिए।
           दूसरे दिन सभी अफसर इस मामले की जांच के लिए सरपंच के पास पहुंचे, और फिर वहाँ सवाल जवाब का कार्यक्रम स्टार्ट हुआ, गांव के सरपंच ने साफ लफ्जो में यह कह दिया-सर मुझे इस मामले में कोई भी जानकारी नहीं थी, इस मामले में शायद बैंक मैनेजर को पता होगा! फिर सभी अफसर उस बैंक में गए जहां से डैम बनाने हेतु पैसा डिपॉजिट किया गया था, वहां जाकर पता उनको ये चला कि डैम बनाने के लिए एक करोड़ की राशि आई हुई थी, यह बात सुनकर सभी चौक गए।और सोचने लगे जब गांव में डैम बनाने हेतु 1 करोड की राशि आई हुई थी तो पूरे पैसे गए तो गए कहां???
       अफसर ने सरपंच से पूछने की कोशिश की तो सरपंच के पसीने छूटने लगे, यह देखकर ऑफिसर को समझ में गया था कि इस मामले के पीछे सरपंच का बहुत बड़ा  योगदान है। एक ऑफिसर ग़ुस्से में आकर  सरपंच को दो थप्पड़ जड़ दिए फिर उससे पूछे-डैम बनाने के लिए जो पैसे आए थे वह कहां है, ऑफिसर के थप्पड़ ने कमाल कर दिया सरपंच ने तोते की तरह सारी कहानी बक दी। साहब मेरे को इस  काम के लिए सिर्फ 3 लाख ही मिले थे बाकी का पैसा कहां गया मुझे नहीं पता। फिर एक ऑफिसर ने बैंक के मैनेजर को कठोर शब्दों में पूछने के बाद कुछ देर में ही वह टूट गया फिर वह अपना गुनाह कबूल कर लिया। जब उससे पूछा गया तुमने इस काम के लिए कितना पैसा खाया तो उसने बताया - सर मुझे सिर्फ 5लाख  ही मिले थे, बाकी का पैसा कहां गया मुझे नहीं पता?
    फिर सभी ऑफिसर पटवारी और आर आई के पास गए, फिर उनसे सवाल-जवाब का सिलसिला प्रारंभ हुआ,शुरू में वह लोग भी इस मामले में इंकार कर रहे थे फिर 5 घंटे लगातार इंक्वायरी के बाद वह लोग भी टूट गए और वे लोग भी अपना गुनाह कबूल कर लिया।जब उनसे पूछा गया इसके लिए तुम लोगो ने कितना पैसा लिया था तो पता चला कि वह दोनों ने मिलकर 15 लाख  रुपए के सरकारी फंड का चूना लगाया। फिर ऑफिसर लोग तहसील ऑफिस के आला अधिकारियों से पूछताछ के लिए तहसील ऑफिस गए, वहां भी कुछ घंटों के बाद वह लोग अपना गुनाह कबूल कर लिए, उन्होंने मिलकर लगभग 30 लाख का गबन किया। फिर कार्यवाही को जारी रखते हुए ऑफिसर लोग नेता जी के पास पहुंचे, और उनसे मिलकर मामले का जिक्र करते हुए उनके सामने अपनी बात रखी-सर एक गांव का मामला आया है जहां डैम गुम हो जाने का रिपोर्ट लिखाई गई है, हमें जांच में पता चला कि डैम बनाने हेतु पैसे तो आए थे पर ना तो वहां कोई कार्य हुआ है और ना ही कोई डैम बना है?

       नेता जी ने लंबी सांसे ली फिर वह बोले अबे साले गधे उस गांव में डैम बना ही कब था जो कि वह गुम हो जाएगा…….. हम नेता गन हैं,  की पब्लिक की सेवा के लिए  हैं? तुमको कितना चाहिए इस मामले को दबाने के लिए अपना कमीशन लो और यहां से चलते बनो, इतना सुनकर एक ऑफिसर ने बोला-सर यह गलत है जब सभी जनता आप पर इतना विश्वास करते हैं कि आप उनका कल्याण करोगे और आप जनता का ही शोषण कर रहे हैं….. फिर नेताजी गुस्से में आकर बोले-हमें यूं ही इलेक्शन में जीत नहीं जाते, सभी को पैसे, दारू, मुर्गा खिला कर ही हम वोटिंग अपने तरफ शामिल करते हैं। जब तक आम जनता पैसे, दारू, मुर्गा में ही बिक जा रहा है तब तक हम नेताओं का जीतना तय है। हम इलेक्शन के टाइम में 30 लाख तक का खर्च किए हैं, तो उस पैसे का रिकवरी तो करनी पड़ेगी ही ना??
     इतना बोल कर नेताजी बाहर निकले और सभी जनता जनों को संबोधित करते हुए बोले-मुझे इस मामले की जानकारी अभी प्राप्त हुई है, और यह मामला बहुत ही गंभीर और जटिल है,मैं आप सभी को यह विश्वास दिलाता हूं कि जो भी इस मामले में दोषी है, उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जावेगी। इतना सुनकर सभी जनता गण तालियों की बौछार करने लगे। और सभी ऑफिसर लोग वहां खड़े बड़ी खामोशी के साथ यह सब देख रहे थे, और उनके मन में बहुत से सवाल उनके ओत-प्रोत घूम रहे थे-
1.-क्या जनता की सोच नेताओं के प्रति भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा?
2.-अब फिर से अगला गांव कौन सा होगा?
3.-अब जनता के कल्याण के लिए सरकार द्वारा आया हुआ पैसा फिर से कहीं खो जाएगा?
4.-शायद यही वजह है कि इंडिया में महंगाई बहुत ज्यादा है?
5.-यहां सभी नेताओं के साथ-साथ आम जनता भी घूसखोर हो गए हैं?
6 .-53 लाख का हिसाब तो समझ में आ गया परंतु बाकी के 47 लाख़ गए कहाँ????
लेखक के कलम से……….

           -अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि, भारत के लोग गरीब नहीं हैं बस कुछ भ्रष्ट नेताओं की सोच का ही यह परिणाम है। वो लोग भी यही चाहते हैं कि एक किसान का बेटा सिर्फ किसान ही बने…... अगर वह आगे पढ़कर डॉक्टर या इंजीनियर बनना भी चाहे तो वाह कभी बन नहीं सकता,क्योंकि आपको भी ये बात पता है यहां डोनेशन के नाम से ही इतना फीस वसूल ली जाती है कि एक आम आदमी उसका निर्वाह खुद को बेचकर भी नहीं कर सकता……….

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