Saturday, February 8, 2020

Sharab ke connection Ghar ma kab le lagi


                                         Sharab ke connection Ghar ma kab le lagi

हेलो फ्रेंड्स,
               कैसे हैं आप लोग, आशा करता हूं कि आप लोग अच्छे होंगे। सबसे पहले तो मैं उन लोगों को दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा, जो मेरे लेख को पढ़कर अपनी बात मुझसे शेयर करते हैं, अगर आप मेरे ब्लॉग में नए  है तो प्लज subscribe करें, जिससे आपको मेरे नए पोस्ट की नोटिफिकेशन मिल जायेगी। तो आज मैं फिर से एक नया लेख आपके सामने पेश कर रहा हूं, I hope  कि आपको मेरा यह लेख भी पहले लेख की तरह ही पसंद आएगा। इस लेख में मैं अपनी काल्पनिक सोच को लेख के रूप में प्रस्तुत करने का कोशिस किया है, जिसका किसी भी वास्तविक लोगों से दूर तक कोई सम्बन्द नही है।

               चारों तरफ चुनाव का माहौल था, सभी उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए अपने अपने षड्यंत्र रचने में महसुल थे। सभी लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा था कि, इस बार देखना है कि इस चुनाव में जीतता कौन है ? चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवारों के लड़के हर गली मोहल्ले में चुनाव का प्रचार प्रसार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे थे, चुनाव में वोट को अपने फेवर में करने के लिए हर घरों में प्रसाद के रूप में दारू - मुर्गा पैसा बाटा जा रहा था। और यह बोला जा रहा था कि   

 "जिसका खाओगे उसी को ही वोट दीजिएगा " चुनाव जीतने के बाद आपका आगे भी ऐसे ही खातिरदारी किया जावेगा,और गांव वाले सभी उन्हीं को ही भगवान समझ रहे थे। उनका सोचना गलत था, पर वे लोग ये बात जानते नहीं थे कि नेता कभी किसी का नहीं होता।
           जैसा कि हम जानते हैं हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, वैसा ही हर चुनाव में एक अच्छा उम्मीदवार होता है तो दूसरा बुरा। पर आज के टाइम पर कोई भी अच्छा है या बुरा इस बात से पता नहीं लगाया जा सकता, कि वह हमारा कल्याण करेगा या हमारा शोषण??? समीर भी चुनाव में खड़े हुए अपने उम्मीदवार के  चुनाव प्रचार प्रसार करने में लगा हुआ था, और वह सभी के घर जा जाकर यह संदेश पहुंचाने की कोशिश करता है कि

अपना उम्मीदवार आप लोग  उन्हीं को चुने जो आपके तथा आपके परिवार गांव को विकास की ओर ले जाने का प्रयास करें। जिससे कि गांव में बच्चों के भविष्य को उज्जवल करने हेतु स्कूल, रोजगार के अवसर,बिजली,स्वास्थ्य केंद्र, सड़क निर्माण इत्यादि के कार्यों हेतु सुविधा उपलब्ध हो सकें। यह बात  सुनकर वहां खड़े नशे में धुत 2 लोगों ने एक साथ बोला-हमन अपन वोट वही के देहब,जो हमके दारू - मुर्गा खिलाही ???
यह बात सुनकर समीर ने कहा-तुमन जैसे आदमी के वजह से गांव हर आगे नहीं बढ़ सकत है, तुमन  1 दिन के दारु - मुर्गा खातिर, आपन कीमती वोट ला, वोकर हाथों बेच देथा।
              समीर की ये सभी बातें,नशे में धुत उन लोगों के एक कान से दूसरे कान को निकल गई, और  वे लोग नशे में मदमस्त होकर बड़बड़ करते हुए वहां से चले गए। आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग अशिक्षित हैं, जहां ना तो कोई स्कूल है और ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र। जिस कारण, इस क्षेत्र में लोग सरकारी योजना अन्य सुविधाओं से वंचित है। शायद यही वजह है कि चुनाव के समय नेताओं के द्वारा हाथ जोड़ा जाता है,फिर चुनाव खत्म होने के बाद इन्हें ही कठपुतलीयो  की तरह इस्तेमाल किया जाता हैं।
               चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आने लगा, वैसे - वैसे चुनाव में उठे उम्मीदवारों के द्वारा तरह-तरह के लुभावाने चीजें जैसा कि कपड़े, रुपए, शराब मुर्गा, इत्यादि दिए जा रहे थे। यह सब समीर अपनी आंखो से देख रहा था,और वह चुनाव में उठे अपने उम्मीदवार के पास गया और उनसे कहा-भैया, मुझे आप पर विश्वास है कि आप जनता का विकास उनका कल्याण करेंगे तो आप  ये सब लुभावनी चीजें क्यों बांट रहे हैं.??? 


समीर की ये सब बातें सुनकर चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवार ने उससे कहा-भाई यह चुनाव है………..चुनाव.??? अगर चुनाव में जीतना है तो पैसे तो खर्च करना पड़ेगा ना, क्युकी तुम्हें भी ये बात पता है,आज के समय में कोई भी बिना पैसे लिए किसी को अपना कीमती वोट नहीं देता…?आज मैं चुनाव के लिए जितना पैसे खर्च करूंगा उतना ही मेरे जीतने की उम्मीद ज्यादा रहेगी…. तुम मुझे अपना काम करने दो, तुम्हारे घर भी शाम तक पैसे और दारू पहुंच जाएगा…….तुम अपना काम करो। . समीर इस बात को सुनकर बड़े उदास मन से वहां से वापस घर की ओर चलने लगा …… और चलते चलते वह यह सोच रहा था कि क्या शराब को बाटे बिना चुनाव नहीं होता है क्या???
 क्या शराब के बिना चुनाव नहीं जीता जाता क्या???
यहां शराब और शबाब के लिए हर कोई बिक जा रहा है???
अगर ऐसा ही चुनाव भविष्य में होता रहा तो जिसके पास जितना पैसा होगा जीतेगा भी वही????

                                     चुनाव होने के 1 दिन पहले

             चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार,   उनके लोगों द्वारा गांव में सभी लोगो को अपने पक्ष में वोट करने हेतु भोली भाली जनता को बहकाए जा रहे थे। तथा उन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार के लालच दिए जा रहे थे। तभी कुछ ऐसा हुआ, जिससे चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की आंखें फटी की फटी रह गई, और वे लोग चुनाव में खड़े होने से पीछे हटने लगे। हुआ कुछ ऐसा......  चुनाव में खड़े हुए एक प्रत्याशी ने गांव में ये  अफवाह फैला दी कि -आपका वोट मुझे दीजिए, मैं आप लोगों का कल्याण करूंगा, जिस तरह मेरे विरोधी आपको सिर्फ 1 दिन ही दारू, मुर्गा,व शराब पिलाएंगे??? और मैं आपको हफ्ते में 5 दिन शराब दूंगा। और इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिस तरह शहर में पानी के लिए पाइप की सहायता से  नल कनेक्शन लगवाते हैं, उसी तरह मैं आपके सभी घर में शराब की पाइप कनेक्शन लगवा दूंगा। जिससे आपको जब शराब पीना हो नल चालू कीजिए और अपना पैक बना कर घर में ही पी लीजिए। आपको शराब के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

         



   शराब की नल कनेक्शन की यह बात सुनकर सभी बेवडो में खुशहाली की लहर दौड़ गई। और सभी एक साथ बोलने लगे-साहब हमर वोट तुमीन के ही जाही, बस तुमान जल्दी से  दारू के कनेक्शन ला घर मा लगवा दा?????? 
अगले दिन चुनाव हुआ और चुनाव में वही प्रत्याशी भारी मतों से जीत गया। 






 चुनाव के कुछ दिनों के  बाद


                         नेता जी कुर्सी पर बैठे हुए सिगरेट पी रहे थे। तभी गाव के कुछ लोग आते है, और बोलते है-का हो नेता जी का करत  बा ? नेता जी ने जोर की आवाज लगते हुए कहा-क्या हैं ,अब क्या चाहिए ?? एक ग्रामीण ने बोला-नेता जी तुमन  हमन के चुनाव से पहले बोले राहा,घर माँ शराब के कनैक्शन लगवा दैउ,पर बहोत दिन हो गइस हे।  अभी तक लगे नाहै। 

नेता जी  ने उन्हें आश्वाशन देते हुए बोले :- लग जाहिते चिंता झन कर।
ग्रामीण  :- कब ले लगही  नेता जी ! हमन जब भी आथन तो इसनेच कथस। 
नेता जी ग़ुस्से में कर बोले  - मै नेता  बने बर 50 लाख खर्चा करे हव। ओला कोन दिही? कहा ले निकलही? तहु भी तो, 5 दिन ले मतंग ले दारु पिए रहे। मुर्गा खाय रहे और तुमन के  घर वाली साड़ी दे रहेव तब तो तुमन  मोला बोट दे हस। नही तो, तुमन  तो आने तरफ पल्टत रहेस। मैं नई जानत हव का। यह बात सुनकर समीर ने बोला :-तुमन मन ला मै बोलेन रहीं,दारू मुर्गा खातिर अपन कीमती वोट ला मत दा पर तुमन मोर कोई बात ला नहीं सुना ??? ये आज नई तो कल होयत रहि। हमन गरीब मन एक दिन के सुख देखेन दारु मुर्गा  के खातिर ये नेता जी   चुनेंन आज भोगत  हन   ?????

                                   


लेखक की कलम से………

                        भारत एक विकासशील देश है, और यहां की जनता आसानी से नेताओं की बातों पर विश्वास करके उम्मीद के साए में जीते हैं। जैसा की आप लोग सभी ये जानते हैं कि  मै अपने लेख में उन विषयों को शामिल करता हूं  जो समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं से छिपे पहलुओं को उजागर करने की एक कोशिश की है। यहाँ हर कोई चुनाव के समय इस उम्मीद के भरोसे जीते है कि इस बार कोई ऐसा नेता आये जिससे उनका कस्ट व् समस्या का समाधान हो सकें। अंत में,मैं चुनाव के सम्बन्ध में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि एक अच्छा  राजनेता ऐसा हो कि हमे तथा समाज को उसे राजनेता बनाने की जरुरत ही न पड़े। आपको अगर मेरा लेख अच्छा लगा हो प्लज़ लाइक  कमेंट एंड शेयर करे.........   

                                



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